राजकुंवर की तुतली बानी
क्या कहते खुद ही न समझते
अर्थ ढूँढ़ते मंत्री ज्ञानी
राजभवन के अन्दर बैठी
सबको नाच नचाती रानी
दाढ़ी वाले बंधूजी ने
टक्कर देने की है ठानी
उठ जाओ प्यारे श्रोताओं
आगे लिखनी तुम्हें कहानी
राजकुंवर की तुतली बानी।
क्या कहते खुद ही न समझते
अर्थ ढूँढ़ते मंत्री ज्ञानी
राजभवन के अन्दर बैठी
सबको नाच नचाती रानी
दाढ़ी वाले बंधूजी ने
टक्कर देने की है ठानी
उठ जाओ प्यारे श्रोताओं
आगे लिखनी तुम्हें कहानी
राजकुंवर की तुतली बानी।
No comments:
Post a Comment