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Sunday, April 27, 2014

गठबंधन और जनता

गठबंधन के दौर में सबसे मिलिए धाय
न जाने किस ओर से ऐलाई मिल जाय।

न्यूनतम प्रोग्राम है करना है कुछ नाँय,
अधिकतम है लूटना मिल-जुल कर के खाँय|

दुहने को अब क्या बचा आओ करें विचार,
क्यों न हम सब बेच दें आसमान इस बार।

भोली जनता चाहती परिवर्तन हर बार,
चट्टे थैली एक के, न समझे नर-नार।

हिन्दुस्तानी गैस के दाम विदेशी पाय,
चाहे जिसकी विजय हो अम्बानी हर्षाय|

जीवन यापन के लिए है कुछ करना यार,
BPL का कार्ड ही बनवा लें इस बार।

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