बॉस-बॉस रटते रहो जो चाहो कल्याण,
बने हुए तुम फिर रहे उसी बदौलत सांड़।
ऐसी बानी बोलिए चमचागिरी डुबोय,
बॉस को शीतल करे भला आप का होय।
बॉस चरण में बैठ कर दिया अधिकारी रोय,
जब तक तुम न कहोगे ट्रान्सफर कैसे होय।
खुश रक्खो तुम बॉस को काम करो न धाम,
काम किये कुछ न मिले होत सुबह से शाम।
भाई संगत बॉस की होत सुगंध-सुवास,
अगर नहीं भी कुछ मिले तो भी खासम-ख़ास।
ज्ञान-कर्म को छोड़ दे बॉस की भक्ति साध,
सेवा काल में प्रगति जो तू चाहे निर्बाध।
बॉस-बॉस रटते रहो जब तक सेवाकाल,
तेरी विनती को भला कब तक सके वो टाल।
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